Chapter–9 डाटा संचार ( Data Comunication)

डेटा संचार
(Data Communication)
डेटा संचार दो या दो से अधिक कम्प्यूटर केन्द्रों के बीच डिजिटल या एनालॉग डेटा को स्थानान्तरण है, जो आपस में संचार चैनल से जुड़ा होता है।
डेटा संचार के लाभ
» डेटा को भौतिक रूप (Physical) से भेजने में तथा डेटा तैयार करने में लगने वाले समय की बचत ।
» आधुनिक कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग शक्ति तथा संग्रहण क्षमता का पूर्ण उपयोग।
» फाइल से सूचनाओं की तीन प्राप्ति ।
» फाइलों के नकल से बचाव तया शुद्धता।
» कम खर्च में हेटा का आदान-प्रदान।
संचार चैनल के प्रकार
Types of Transmission Channel
संचार चैनल मुख्यतः तीन प्रकार के होते है
1. सिंपलेक्स पैनल
Simplex Channel
इसमें डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है। जैसे- रेडियो स्टेशन से रेडियो सिग्नल श्रोताओं के पास पहुँचता है, पर बीता वापरा उन्हें रेडियो स्टेशन स्थानांतरित नहीं कर सकता है। सिग्नल एक ही दिशा में अर्थात् 'A'  से  'B'  की ओर जाता है।
2. अर्द्ध डुप्लेक्स चैनल
Half Duplex Channel
इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है। परन्तु एक समय में किसी एक ही दिशा में डेटा का प्रवाह होता है, अर्थात् 'A'  से  'B' या  'B'  से  'A'  की ओर  जैसे- टेलीफोन लाइन।
3. पूर्ण डुप्लेक्स चैनल
Full Duplex Channel
इस चैनल में डेटा का प्रयास दोनों दिशाओं में एक साथ हो सकता है। एक ही समय में 'A' से 'B' की ओर तथा 'B' से 'A' की ओर आ-जा सकता है।
इनफॉर्मेशन ट्रांसफर स्पीड
Information Transfer Speed
इनफॉर्मशन ट्रांसफर स्पीड को बिट्स और बाइट (Bits and Bytes) रेट से मापा जाता है। एक सेकेंड में स्थानांतरित विट्स की गति को बिट रेट कहते हैं।
एक सेकंड में सिग्नल के अवस्था में परिवर्तन कितनी बार होता है इसे बॉड रेट कहते हैं।
डाटा कम्युनिकेशन माध्यम
Data Communication Medium
एक कम्प्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कम्प्यूटर तक डाटा के प्रवाह के लिए किसी माध्यम ही आवश्यकता होती है जिसे कम्युनिकेशन लाइन या डेटा लिंक कहते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार होते है-
1. स्टैन्डर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone line)
2. कॉक्सियल केबल (Coxial-Cable)
3. माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
4. उपग्रह संचार (Satellite Communication)
5. प्रकाशीय तंतु (Optical Fibers)
1.स्टैन्डर्ड टेलीफोन लाइन  (Standard Telephone line) : 
यह व्यापक रूप से उपयोग होने वाला डाटा कम्युनिकेशन माध्यम है। इसके ज्यादा प्रभावी रूप से
उपयोग होने का कारण यह है कि इसे जोड़ना सरल है तथा बड़ी मान में टेलीफोन केबल लाइन उपलब्ध हैं। ये दो तांबे के तार होते हैं जिन पर कुचालक की एक परत चढ़ी होती है।
2.कॉक्सियल केबल (Coxial-Cable) :
यह उच्च गुणवत्ता के संचार माध्यम है। ये जमीन या समुद्र के नीचे से ले जाये जाते है। कॉक्सियल केबल के केन्द्र में ठोस तार होता है जो कुचालक से चारों तरफ घिरा रहता है। इस कुचालक के ऊपर तार की जाली बनी होती है, जिसके ऊपर कुचालक की परत होती है। ये टेलीफोन तार को तुलना में महंगा होता है, पर अधिक डेटा कम्युनिकेशन की क्षमता होती
है। इसका उपयोग केबल टीवी नेटवर्क तथा कम्प्यूटर नेटवर्क में किया जाता है।
3. माइक्रोवेव ट्रांसमिशन या इनफ्रारेड ट्रांसमिशन (Microwave Transmission Or Infrared Transmission):
 इस सिस्टम में सिग्नल खुले जगह से होकर रेडियो सिग्नल की तरह संचारित किये जाते यह स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन तथा कॉक्सियल केबल की तीव्र गति से संचार प्रदान फरता है। इस सिस्टम में डेटा सीधी रेखा में
गमन करती है, तथा एन्टिना की आवश्यकता होती है। लगभग 30 मीलो पर रिले स्टेशन की जरूरत होती है। लम्बी दूरी सिग्नल भेजने के लिए सिग्नल को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर विस्तार कर (Amplified), भेजा जाता है। यह बैंडविथ अच्छा प्रदान करता है पर वर्षा, धूल, बर्फ, बादल अर्थात खराब वातावरण से प्रभावित होता है। इसका उपयोग टेलीविजन प्रसारण तया सलुलर नेटवर्क में होता है।
4.उपग्रह संचार ( Satellite Communication ) : 
उपग्रह संचार तीव्र गति के  डेटा संचार का माध्यम है। यह लम्बी दूरी के संचार के लिए आदर्श माना जाता है। अंतरिक्ष में स्थित उपग्रह को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिग्नल भेजा जाता है। उपग्रह उस सिग्नल का विस्तार कर दूसरे जमीनी स्टेशन को जो हजारों मील दूर अवस्थित होता है, पुनः भेजता है। इस सिस्टम में विशाल
डेटा का समूह तीव्र गति से अधिकतम दूरी तक भेजा जा सकता है। इसका उपयोग उपग्रह फोन, टीवी तथा इंटरनेट के लिए होता है।
5. प्रकाशीय तंतु संचार ( Fiber Optic Communication ) : 
प्रकाशीय तंतु एक नई तकनीक है जिसमे धातु के तारों और केबल के जगह पर विशिष्ट प्रकार के ग्लास या प्लास्टिक के तंतु का उपयोग डेटा संचार के लिए किया जाता है। ये धातु की तुलना में काफी हल्की. आकार में कम तथा तीव्र गति डेटा संचारित करने में सक्षम है। यह शोर कम तथा बैंडविड्य अधिक प्रदान करता है। इसका उपयोग टेलीकम्युनिकेशन और नेटवर्किंग के लिए होता
है। यह पूर्ण आंत्रिकी परावर्तन (Total Internal
Reflection) के सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह रेडियो आवृति अवरोधों से मुक्त होता है।

नेटवर्क ( Network )
नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कम्प्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से संचार में स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं। जैसे-प्रिंट इत्यादि। किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता,  माध्यम तथा प्रोटोकाल
की आवश्यकता होती है। विश्व का प्रथम कम्यूटर नेटवर्क ARPANET है।
प्रोटोकॉल (Protocol) :
प्रोटोकॉल किसी भी नेटवर्क में विशेष नियमों तथा मानकों के समूह है जिसके नियमानुसार, डेटा स्थानान्तरण तथा आपस में एक दूसरे कम्प्यूटरों को जोड़ा जाता है।
नोड (Nodes):
किसी नेटवर्क में नोड एक कनेक्सन प्वाइट है जहाँ डेटा ट्रांसमिशन का अंत होता है या वही से पुनः डेटा का वितरण होता है।
सर्वर (Server) :
 सर्वर मुख्य कम्प्यूटर है जो नेटवर्क से जुड़े दूसरे कम्प्यूटरों को रिसोर्स प्रदान करते हैं। यह नेटवर्क में सबसे महत्त्वपूर्ण तथा शक्तिशाली कम्यूटर है। सर्वर एक केंद्र कम्प्यूटर है जो बहुत सारे PCs, वर्कस्टेशन्स और अन्य कम्प्यूटरों के लिए डाटा और प्रोग्रामों के संग्रह को होल्ड करता है।
टर्मिनल (Terminal) :
यह मैनफ्रेम या सुपर कम्प्यूटर के संसाधनों का साझा इस्तेमाल के लिए उपयोग होता है।
डम्ब टर्मिनल (Dumb Terminal):
यह नगण्य इंटेलिजेंस वाला कम्प्यूटर है।
नेटवर्किंग के लिए आवश्यक उपकरण
Networking Devices
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है-
1. रिपीटर्स (Repeaters) 
2. रुब (Hub)
3. स्विच (Switches)
4. राउटर्स (Routers)
5. गेटवे (Gateways)

नेटवर्क के प्रकार
Types of Network
नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार हैं-
1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN) या स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क : 
यह एक कम्प्यूटर नेटवर्क है, जिसके अन्दर छोटे भौगोलिक क्षेत्र जैसे- घर, ऑफिस, भवनों का एक छोटा समूह या हवाई अड्डा आदि में कम्प्यूटर नेटवर्क है। वर्तमान लैन, ईथरनेट तकनीकी पर आधारित है। इस नेटवर्क का आकार छोटा, लेकिन डेटा संचारण की गति तीव्र होती है।
2. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network-WAN) व्यापक क्षेत्र नेटवर्क :
इस नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में लीज्ड लाइन या स्विचड सर्किट के द्वारा जुड़े रहते हैं। यह नेटवर्क व्यापक भौगोलिक क्षेत्र देश, महादेश में फैला नेटवर्क का जाल है। इंटरनेट इसका अच्छा उदाहरण है। भारत में CMC द्वारा विकसित इंडोनेट वैन का उदाहरण है। पैका द्वारा प्रदत्त ATM सुविधा वाइड एरिया नेटवर्क का उदाहरण है।
3. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network-MAN): 
MAN दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ता है। यह शहर की सीमाओं के भीतर स्थित
कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। राउटर्स, स्विच और हब मिलकर एक MAN का निर्माण करते हैं।
नेटवर्क टोपोलॉजी
Network Topology
नेटवर्क टोपोलॉजी विभिन्न नोडस या टर्मिनल को आपस में जोड़ने का तरीका है। यह विभिन नोड्स के बीच भौतिक संरचना को दर्शाता है।
नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार
1. मेश टॉपोलॉजी (Mesh Topology): 
यह नेटवर्क उच्च ट्रैफीक स्थिति में मार्ग (Routes) को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता है। इसमें किसी
भी स्रोत (Source) से कई मार्गों से संदेश भेजा जा सकता है। पूर्णतः इन्टरकनेक्टेड मेस नेटवर्क खर्चीला है, क्योंकि इसमें ज्यादा कैबल (Cable) तथा हर नोड में इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है। इस नेटवर्क में
उच्च सुरक्षा अनुप्रयोग में डाटा प्रेषित किया जाता है।
2. स्टार टॉपोलॉजी (Star Topology) : 
इस नेटवर्क में एक केन्द्रीय नोड (Central Node) होता है जो इंटेलिजेंस से युक्त होता है। ताकि नोड्स इससे जुड़े रहते हैं। इस केन्द्रीय नोड को हब
(Hub) कहते हैं। कोई एक केबल (Cable) में कोई कठिनाई आने पर एक ही नोड विफल होता है परन्तु अगर हब में कोई कठिनाई आती है तो सारा नेटवर्क विफल हो जाता है।
3.रिंग टोपोलोजी (Ring Topology) :
इस नेटवर्क में सभी नोड्स में समान रूप से इंटेलिजेंस होता है। डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है परन्तु किसी भी एक केबल या नोड में कठिनाई आने पर दूसरे दिशा से संचार संभव है।
4. बस टोपोलोजी (Bus Topology): 
इस नेटवर्क में सभी नोड्स एक ही केबल में जुड़े रहते हैं। कोई भी नोड किसी दूसरे नोड को डेटा प्रेषित करना चाहता है तो उसे देखना होता है कि बस में कोई डेटा प्रवाहित तो नहीं हो रहा है। बस खाली रहने पर नोड डेटा प्रेषित कर सकता है। डेटा प्राप्त करने के लिए हर
नोड के पास इतनी इंटेलिजेंस होनी चाहिए कि वह बस से अपने पता (address) ज्ञात कर डेटा प्राप्त कर सके। इसमें कम केबल की आवश्यकता होती है तथा कोई नया नोट जोडना आसान होता है। परन्तु प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन में कठिनाई आने पर सारा नेटवर्क विफल हो जाता है।
मॉड्यूलेशन (Modulation)
  यह किसी जानकारी (Information) को लम्बी दूरी तक सिग्नल के रूप में भेजने के लिए उपयोग होता है। मॉड्यूलेशन डिजिटल सिग्नल को एनालॉग रूप में बदलने की प्रक्रिया है। यह मॉडम (MODEM-Modulactor Demodulator) के द्वारा संभव होता है। मॉडम एक विद्युत यंत्र है जो डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में बदलकर भेजता है. तथा एनालॉग
सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में बदलकर प्राप्त करता है।
मांडलेशन तीन प्रकार के होते है-
1. आयाम मॉडुलेशन (Amplitude Modulation):
 इस प्रक्रिया में बाहक सिग्नल का आयाम सूचना
युक्त डिजिटल सिग्नल के अनुरूप बदला जाता है।
2. आवृत्ति मॉडुलेशन (Frequency Modulation): 
इस प्रक्रिया में बाहक सिग्नल की आवृत्ति को सूचना
युक्त डिजिटल सिग्नल के अनुरूप बदला जाता है।
3. चरण मॉडुलेशन (Phase Modulation):
इस प्रक्रिया में वाहक सिग्नल के फेज (phase) को डिजिटल सिग्नल के अनुरूप बदला जाता है।
डेटा ट्रांसमिशन सेवा
Data Transmission Service
डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने के लिए जिस सेवा का उपयोग होता है उसे डेटा ट्रांसमिशन सेवा कहते हैं। इस सेवा को देने वाले को डेटा ट्रांसमिशन सेवा प्रदाता (Data Transmission Service Provider) कहते हैं। जैसे-
1. VSNL-विदेश संचार निगम लिमिटेड,
2 BSNL-भारत संचार निगम लिमिटेड
3. MTNL-महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
डेटा ट्रांसमिशन सेवा निम्नलिखित है-
1. डावल अप लाइन (Dial up line) : 
डायल अप लाइन टेलीफोन कनेक्शन से संबंधित
है जो एक सिस्टम में बहुत सारे लाइनो तथा यूजरों से जुड़ा है। इसका उपयोग टेलीफोन की बैंडविड्य की गारंटी देता है। इसका उपयोग टेलिफोन की तरह नम्बर डायल कर संचार स्थापित करने में किया जाता है। इसे कभी-कभी स्विच्ड लाइन भी कहा जाता है। यह पहले से विद्यमान टेलीफोन सेवा का उपयोग करता है। ब्रॉडबैंड तकनीक भी डायल अप कनेक्शन के द्वारा ही उपयोग होता है।
2. लीज्ड लाइन (Leased line): 
लीज्ड लाइन आवाज और डेटा दूरसंचार सेवा के लिए
दो स्थानों को जोड़ती है। यह एक सिर्फ, समर्पित लाइन (Dedicated Cable) नहीं है, बल्कि यह वास्तव में दो बिन्दु के बीच आरक्षित सर्किट है। यह कम या ज्यादा दोनों दूरी में संभव । इसे समर्पित (Dedicated) लाइन भी कहते है। इसका सबसे अधिक उपयोग उद्योगों द्वारा
अपने शाखा कार्यालयों को जोड़ने के लिए किया जाता है, क्योंकि यह नेटवर्क ट्रैफिक के लिए बैंडविड्थ की गारंटी देता है ।
3. एकीकृत सेवा डिजिटला नेटवर्क (ISDN-Integrated Services Digital Network):
एकीकृत सेवा डिजिटल नेटवर्क सर्किट स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से आवाज, डेटा और छवि का स्थानान्तरण है। इस सेवा के अन्तर्गत आवाज, डेटा या छवि डिजिटल रूप में भेजा जाता है अतः शोर से बिल्कुल मुक्त रहता है। इस लाइन में कई उपकरणों को संलग्न किया जा सकता है, और जरूरत के अनुरूप इस्तेमाल किया जा सकता है। अर्थात् ISDN लाइन लोगों की पूरी संचार व्यवस्था की देखभाल कर सकता है। इस सेवा में मॉडम की आवश्यकता नहीं होती है क्योकि डेटा का आदान प्रदान डिजिटल रूप में होता है।
नेटवर्क इंटरफेस कार्ड
NIC-Network Interface Card
यह एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कम्प्यूटर को नेटवर्क में संचार स्थापित करने में सक्षम बनाता है। नेटवर्क के अन्तर्गत कम्प्यूटर एक निश्चित प्रोटोकॉल के तहत् डेटा पैकेट का आपस में आदान-प्रदान करते हैं।
वायरलेस तकनीक
Wireless Technology
वायरलेस तकनीक जैसा कि नाम से ज्ञात होता है यह बिना तारों (wire) की तकनीक है। अर्थात् इसके द्वारा डेटा का परिवहन बिना तारों या केवल के होता है। इस तकनीक के प्रयोग से केवल के खर्च भी बचत होती है। इस तकनीक में केवल के स्थान पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक
तुरंगों. साइक्रोवेव, इन्फ्रारेड तरंगों आदि के द्वारा डेटा का परिवहन होता है। वायरलेस तकनीक के अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-टेलीविजन रिमोट कंट्रोल, सेलुलर फोन. वाई-फाई आदि ।
वाई-मैक्स (WIMAX-World wide Interoperability for Microwave Access):
यह एक डिजिटल वायरलेस संचार प्रणाली है। यह तकनीक बिना केवल के 75 MB/सेकंड बॉडबैंड स्पीड प्रदान करता है।
वायरलेस लोकल लूप (WLL-Wireless Local Loop):
यह एक वायरलेस संचार प्रणाली है जिसमें उपभोक्ता नेटवर्क से रेडियो आवृति (Radio Frequency) के प्रयोग से जुड़ते हैं। यह बेहतर आवाज तथा एच्च गति डेटा क्षमता प्रदान करता है। जिस स्थान पर लैंडलाइन टेलीफोन कनेक्शन का प्रावधान संभव नहीं है वहाँ वायरलेस लोकल लूप तकनीक प्रभावी सेवा है। यह सी डी एम ए (Code Division Multiple Access) पर आधारित है। आजकल यह नेटवर्क के लिए लोकप्रिय साधन है।

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