Chapter– 8 सॉफ्टवेयर (Software)
सॉफ्टवेयर
(Software)
किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम का प्रत्येक भाग या तो हार्डवेयर है या सॉफ्टवेयर है। कम्प्यूटर के भौतिक (Physical) बनावट (छू कर महसूस करने योग्य भाग) को हार्डवेयर कहते है। हार्डवेयर के अन्तर्गत डाटा इनपुट के लिए प्रयुक्त कम्प्यूटर तथा उससे जुड़े सभी साधन ।
प्रिन्टर, की-बोर्ड और मॉडम जैसी बाहरी डिवाइसों को पेरिफेरल डिवाइस कहते हैं।
सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग भाषा द्वारा लिखे गये निर्देशों की श्रृंखला है, जिसके अनुसार दिये गये डेटा का प्रोसेस होता है। बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है। सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर भी कार्य करता है। इसे प्रोग्राम भी कहते हैं। कम्प्यूटर प्रोग्रामों को लिखने वाले और उनका परीक्षण करने वाले व्यक्तियों को प्रोगामर कहते हैं। हाईवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने को इंटरफेस (Interface) कहते हैं।
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विभिन्न तरह के होते हैं। सामान्यतः इसे तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
2 अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)
3. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming software)
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
यह कम्प्यूटर हार्डवेयर को इस प्रकार नियंत्रित करता है कि अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से चल सके । जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, विंडोज सिस्टम आदि ।
2. अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)
यह यूजर को एक या एक से अधिक कोई विशेष कार्य पूरा करने की अनुमति देता है। उच्च स्तरीय की कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है. अतः यूजर आसानी से
कम्प्यूटर का उपयोग कर सकता है। जैसे-औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation), व्यापार सॉफ्टवेयर, चिकित्सा सॉफ्टवेयर, शैक्षणिक सॉफ्टवेयर, वर्ड प्रोसेसर आदि ।
3. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर ( Programming Software)
यह आमतौर पर कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के उपकरण प्रदान करता है। जैसे-पाठ संपादक (Texteditors), कम्पाइलर (Compiler), डि-बगर (Debugger), इन्टरप्रेटर (Interpreter) आदि । प्रोग्राम में त्रुटि जिससे गलत या अनुपयुक्त परिणाम उत्पन्न होते हैं उस बग (Bug) कहते हैं। ज्ञात सॉफ्टवेयर बग के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध छोटा प्रोग्राम जो निःशुल्क रिपेयर करता है, उसे पैच कहते हैं। सॉफ्टवेयर कोड में बग ढूंढने की प्रक्रिया को डीवगिंग (Debugging) कहते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम
Operating System
सर्वप्रथम जब हम कम्प्यूटर ऑन करते हैं तो हमारे मदरबोर्ड पर BIOS (Basic Input Output System) ROM चिप ढूँढ़ता है। इस BIOS चिप में विभिन्न एक्सपैसन स्लॉट, पोर्ट, ड्राइव तथा आपरेटिंग सिस्टम के उपयोग के लिए निर्देश डाला (Burn) रहता है। कम्प्यूटर ऑन होते ही बुट सिक्वेंस या स्टार्ट अप प्रोसेस आरंभ होता है. जिसके अर्न्तगत BIOS चिप
से निर्देश (Instruction) तथा प्रोग्रामिंग कोड लोड करता है। तत्पश्चात् क्रम में निर्देश देता है। बाह्य (External) तथा आंतरिक (Intermal) उपकरणों (Equipment) की सूची और कई सेल्फ टेस्ट को कार्यान्वित करता है जिसे Power On Self Test करते है । कम्प्यूटर इस टेस्ट के दौरान किसी त्रुटि का पता होने पर Error code प्रदान करता है। यह error code हार्डवेयर जैसे मेमोरी, की बोर्ड, मॉनिटर एवं डिस्क डाइस में कोई कठिनाई आने पर देता है।
Power On Self Test सफलतापूर्वक समाप्त होने के पश्चात् बूट स्ट्रैप की प्रक्रिया आरंभ होती है जिसे बूटिंग (Booting) कहते हैं। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत ऑपरेटिंग सिस्टम आरंभ (Start) करता है। इस प्रक्रिया में ऑपरेटिंग सिस्टम को कम्प्यूटर सेकेन्डरी मेमोरी या ऑक्जिलरी मेमोरी से मैन मेमोरी या RAM में लोड करता है। इन प्रक्रिया में सारे कम्पोनेन्ट कम्प्यूटर सिस्टम
से ठीक से जुड़े हैं तथा कार्य कर रहे हैं, यह भी सुनिश्चित हो जाता है।
कम्यूटर हार्डवेयर हमारी भाषा नहीं समझते हैं, वे द्विआधारी (Binary Number) 1
अथवा 0 की भाषा समझते है, ऑपरेटिंग सिस्टम,।हार्डवेयर, एप्लिकेशन सिस्टम तया उपयोगकर्ता के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसका कार्य कम्यूटर को चलाना तथा उससे काम करने योग्य बनाये रखना है। ये हमारे दिये निर्देशों अथवा डेटा को मशीनी भाषा में बदलता है तथा परिणाम (output) को पुनः हमारी भाषा में बदलकर एक माध्यम के रूप में कार्य करता
है।
जैसे-विन्डोज 95,98, विस्टा 2000, XP, MS-DOS (डेस्क जॉपरेटिंग सिस्टम) यूनिक्स, लिनिक्स जादि।
कम्प्यूटर एप्लिकेशन तथा नियंत्रण के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम पाँच प्रकार के होते है।
1. वास्तविक समय ऑपरेटिंग सिस्टम (Real time operating system):
इसका मुख्य उद्देश्य यूजर को तीव्र Responce time उपलब्ध कराना है। ये प्रणाली मशीनरी, वैज्ञानिक और
औद्योगिक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें उपयोगकर्ता का हस्तदोष कम होता है, तथा एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डेटा के रूप में प्रयोग होता है। वास्तविक समय आपरेटिंग सिस्टम का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा यह है कि एक विशेष ऑपरेशन एक निश्चित समय अवधि में ही पूर्ण हो जाये, नहीं तो आगे के प्रोग्राम में त्रुटी आ जायेगी तथा परिणाम रुक जायेगा। उदाहरण-वैज्ञानिक अनुसंधान, रेलवे आरक्षण, उपग्रहों का संचालन आदि।
2. टाइम सोयरिंग सिस्टम (Time sharing operating system):
इसमें यूजर को एक हीी संसाधन का साझा उपयोग करना होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न यूजर के आवश्यकताओं का संतुुुलित करता है कि हर प्रोग्राम जो वे उपयोग कर रहे हैं पर्याप्त है या नहीं। इस ऑपरेटिंग
सिस्टम में मैमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है। इसमें प्रत्येक प्रोग्राम को CPU का बराबर समय मिलता है ।
3.एकल काम ऑपरेटिंग सिस्टम (Single tasking operating system):
इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम एक यूजर को प्रभावी रूप से एक समय में एक ही काम करने की अनुमति मिलता है।
4. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch processing operating system):
इस सिस्टम में काम समूह में होता है। अर्थात् ऑपरेटिंग सिस्टम जब सारे कार्य समूह में यूजर के हस्तक्षेप के बिना प्राथमिकता के आधार पर करता है तो उस सिस्टम को बैच प्रोसेसिंग सिस्टम कहते हैं, जैसे- पेरोल (Payroll) बनाना, विलिंग (Billing) आदि।
5.बहु प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multiprogramming operating system):
ऐसे सिस्टम में ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा एक से अधिक प्रोग्राम या कार्य एक ही साथ कार्य करते हैं।
हर कार्य का CPU का एक निश्चित समय दिया जाता है जिसे टाइम स्नाइसिंग कहते हैं।
6. मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Processing uperating system) या
पैरलेल प्रोसेसिंग सिस्टम (Parallel Processing system):
इस सिस्टम में एक ही कम्प्यूटर सिस्टम में दो या अधिक सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग होता है।
कुछ महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम
1.एम एस डॉस MS-DOS (Microsoft Disc Operating System):
व्यापक रूप से पर्सनल कम्प्यूटर में स्थापित (Installed) माइक्रोसॉफ्ट का प्रथम ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह सरल गैर सुचित्रित (Non-graphical), कमांड लाइन ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह सरल है परन्तु यूजर फ्रेन्डली नहीं, क्योंकि इसमें कमांड याद रखना होता है। इसका सर्वाधिक लोकप्रिय संस्करण 7.0 है।
2. एम एस विंडोज (Microsoft windows):
यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसमें एम एस डॉस के कमियों को ध्यान में रखा गया तथा इसे यूजर फ्रेंडली बनाया गया। इसके अन्य संस्करण विडोज-95, विंडोज-98, विडोज एक्सपी, विंडोज विस्टा, विंडोज 7, विंडोज 8, विंडोज 9भी हैं। सर्वाधिक वर्तमान सर्वर संस्करण विंडोज 10 है। इसे सिखना तथा इस पर काम करना भी सरल है।
3. यूनिक्स (Unix):
यह सन् 1969 में AT&T कर्मचारियों (Employees) द्वारा बेल प्रयोगशाला में विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम है। जिनमें केन थॉमसन (Ken Thompson), डेनिस
रिची (Dennis Ritchit), डगलस मैक्लराय (Douglas Mellroy) तथा जो ओसाना (Joe Ossanna) शामिल थे। सर्वर तथा वर्कस्टेशन दोनों में यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का वृहत उपयोग होता है। यूनिक्स असेम्बली भाषा में सर्वप्रथम लिखा गया था। सन् 1973 में इसे c प्रोग्रामिंग भाषा में दोबारा लिखा गया। इसमें कर्नल (Kernal) डेटा प्रबंधन होता है।
के तरह कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जो लाइनक्स
4. लाइनक्स (Linux):
सन् 1991 में इसका प्रथम संस्करण लाया गया था। यह यूनिक्स की तरह कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जो लाइनक्स कर्नल (Linux Kernel) पर आधारित है ।
इसका उपयोग मुख्यताः सर्वर में ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए होता है । यह ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है।
काल्पनिक मेमोरी
Virtual Memory
यह एक काल्पनिक स्मृति क्षेत्र है जो ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा समर्थित (Supported) है।
इसे हम मेमोरी एड्रेस का विकल्प भी मान सकते है जिसे प्रोग्राम निर्देश तथा डेटा संग्रह के लिए उपयोग करता है। वर्चुअल मेमोरी का उद्देश्य एड्रेस स्पेस को बढ़ाना है। यह हार्ड डिस्क पर स्पेस है जिसे CPU extended RAM की तरह प्रयोग करता है। इसे लॉजिकल मेमोरी भी
कहा जा सकता है तथा यह ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होता है।
ट्रांसलेटर
Translator
ट्रांसलेटर, प्रोग्राम या निर्देशों की श्रृंखला है जो प्रोग्रामिंग भाषा को मशीनी भाषा में रूपान्तरित
कर देता है। यह तीन प्रकार के होता है।
1. असेंब्लर (Assembler):
यह असेम्बली भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को मशीनी भाषा में रूपान्तरित करता है।
2. कम्पाइलर (Compiler):
कम्पाइलर एक प्रोग्राम है जो उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गये प्रोग्राम या स्रोत (Source) कोड को मशीनी भाषा या object प्रोग्राम में रूपान्तरित करता है।
यह पूरे प्रोग्राम को एक बार में पढ़ता है तथा सारी गलतियों को बताता है। गलतियों दूर होने पर प्रोग्राम की मशीन भाषा में रूपान्तरित कर देता है।
3. इंटरप्रेटर (Interpreter) :
यह उच्चस्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में दिये गये निर्देशों को
निम्नस्तरीय मशीन भाषा में ट्रांसलेट करता है। इंटरप्रेटर हर निर्देश को एक-एक कर ट्रांसलेट करता है। एक निर्देश को ट्रांसलेट करे बिना संग्रहित किये क्रियान्वती (execute) करता है, फिर तब दूसरे निर्देश को ट्रांसलेट करता है। इस तरह जब सारा प्रोग्राम क्रियान्वती हो जाता है तो अन्त में प्रतिक्रिया (Response) देता है।
डिवाइस ड्राइवर
Device Driver
इसे सॉफ्टवेयर ड्राइवर भी कहते हैं। यह एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है जो उच्चस्तरीय कम्प्यूटर प्रोग्राम को हाईवेयर डिवाइस के साथ संबंध स्थापित करने (intract) में सहायता करता है।
कम्प्यूटर बस या संचार बस सिस्टम जिससे हाईवियर जुड़ा है के द्वारा डिवाइस ड्राइवर संबंध स्थापित करता है।
अनुप्रयोग साफ्टवेयर
Application Software
उपयोगिता के आधार पर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर दो प्रकार के हाते हैं:
1. विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Special Application Software) :
यह किसी विशेष कार्य को पूरा करने में सक्षम होता है। जैसे- मौसम विज्ञान, वायुयान नियंत्रण, टिकट आरक्षण,
आदि के लिए विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर उपयोग होता है।
2. सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (General Function Application Software) :
इसे अनेक उपयोगकर्ता उपयोग कर सकते हैं। जब आवश्यकता बहुत सामान्य सी होती है, तब
अनुप्रयोग पैकेज भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ सामान्य अनुप्रयोग पैकेज निम्नलिखित हैं।
(a) इलेक्ट्रानिक स्प्रेडशीट (Electronic spreadsheet) :
यह स्क्रीन पर संख्या को टेबल के रूप में प्रकट करने में सक्षम होता है, तथा उसकी गणना कर सकता है। उन संख्याओं के कोड को ग्राफ तथा चार्ट के रूप में भी व्यक्त कर सकते हैं। जैसे- माइक्रोसॉफ्ट एक्सन, लोटस 123, के–स्प्रेड, ओपेन कैल्क आदि।
(b) वर्ड प्रोसेसर (Word Processor) :
यह कम्प्यूटर स्क्रीन पर दस्तावेज तैयार करने में सहायता करता है। उस दस्तावेज को रूपान्तरित, संग्रहित तथा प्रिन्ट किया जा सकता है। जैसे- वर्ड स्टार (Word Star), वर्ड पैड (Word Pad), एम एस वर्ड (MS-Word), के–वर्ड, ओपेन राइट आदि ।
(c) कम्प्यूटर ग्राफिक्स (Computer Graphics): इस प्रोग्राम का डिजाइन, ग्राफ और चार्ट बनाने तथा संशोधन करने के लिए उपयोग किया जाता है। जैसे-CAD (Computer Aided Design), CAM (Computer Aided Manufacturing), हारवर्ड ग्राफिक्स इत्यादि ।
(d) डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP-Desk Top Publishing):
कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता के साथ प्रकाशन के लिए DTP सॉफ्टवेयर प्रयोग किया जाता है। यह इनपुट, वर्ड प्रोसेसर या सीधे DPT सिस्टम से लेता है और इसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से ग्राफिक्स जोड़कर पेज पूरा किया
जाता है। फिर उच्च रिजोल्यूसन आउटपुट यंत्र से प्रिन्ट कर लिया जाता है। जैसे- पेज मेकर, कोरल डॉ. माइक्रोसॉफ्ट पब्लिशर इत्यादि।
(e) डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम या डाटावेस साफ्टवेयर (DISMS-DatabaseManagement System or Database Software):
इस सिस्टम के अन्तर्गत जो भी डेटा हम कम्यूटर स्टोर करना चाहते हैं, उसे इनपुट करने, परिवर्तन करने, क्रमबद्ध करने तथा रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा देता है। यह डेटा का सुनियोजित रिकार्ड रखने में सक्षम होता है। जैसे-डी-बेस IV, एम एस एक्साल आदि।
(f) रिपोर्ट जनरेटर (Report Generator) :
यह से डेटाबेस से डेटा लेकर प्रयोक्ता (यूजर)के आवश्यकतानुसार विभिन्न तरह के रिपोर्ट तैयार करता है, जैसे -RRC (रिपोर्ट प्रोग्राम जेनरेटर)।
(g) एकाउंटिंग पैकेज (Accounting Package) : इस प्रोग्राम के उपयोग से वित्तीय लेखांकन (Accounting), बैंक खातों, स्टॉक, आय और व्यय का लेखा-जोखा सरलता से होता है। जैसे-टैली (Tally)
(h) प्रस्तुति सॉफ्टवेयर (Presentation Software):
इसका उपयोग शब्दों और चित्रों को सजाकर कहानी कहने, सार्वजनिक प्रस्तुति या सूचना देने में होता है। उदाहरण- पावर प्वाइंट, फ्रिलान्स, पैज, पेज मिल इत्यादि। प्रस्तुति सॉफ्टवेयर को प्रस्तुति ग्राफिक्स भी कहते हैं।
ट्रंकी सिस्टम (Turnkey System):
किसी विशेष अनुप्रयोग के लिए आवश्यक हाईवेयर
और साफ्टवेयर को ट्रंकी सिस्टम कहते हैं।
फ्री वेयर (Free Ware);
फ्री वेयर एक साफ्टवेयर है जिसे बिना मूल्य चुकाये या इंटरने से फ्री डाउनलोड कर सकते हैं। जैसे—इस्टैंट मैसेजिंग और गूगल टूलबार ।
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर
Utility Software
यह एक छोटा साफ्टवेयर है जो ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य क्षमता में वृद्धि करता है।
यह विशेष रूप से कम्प्यूटर हार्डवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम या अनुप्रयोग के प्रबंधन को एक साथ कार्य करने में सहायता करता है। यूटीलिटी सॉफ्टवेयर एक कार्य या कार्य का एक छोटा भाग पूरा (perform) करता है। इसकी सहायता से कम्प्यूटर का उपयोग करना और भी सरल हो जाता है।
1. डिस्क फार्मेटिंग (Disk Formating); यह हार्डडिस्क या दूसरे भंडारण माध्यम को उपयोग करने के पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाने में सहायता करता है।
2.डिस्क क्लिनर (DiskCleaner):
यह उपयोगकर्ता को हार्ड डिस्क भर जाने पर अनावश्यक प्रोग्राम को हटाने का निर्णय लेने में मदद करता है तथा हटाकर मेमोरी की क्षमता में वृद्धि करता है।
3. बैकअप प्रोग्राम (Backup Program):
यह सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर में स्टोर सारे सूचनाओं
को कॉपी करके इच्छित जगह पर रखता है जिसरी मेमोरी में कोई क्षति होने पर सारे सूचनाओं
को फिर से संग्रहित किया जा सकता है।
4. डिस्क कंप्रेशन (Disk Compression):
ये सॉफ्टवेयर हार्ड डिस्क के सारे सूचनाओं को कम्प्रेिस (Compress) कर देता है ताकि और सूचनाओं को इनमें संग्रहित किया जा सके। स्टोरेज की थोड़ी सी जगह में बहुत सी फाइलों को स्टोर करने के लिए फाइल कम्प्रेसन (Compression) का प्रयोग किया जाता है।
5. वायरस स्कैनर (Virus Scanner):
ये कम्प्यूटर फाइल तथा फोल्डरों के वायरस को
निष्क्रिय करने के लिए स्कैन करता है। इसे एन्टीवायरस भी कहते हैं।
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